केपॅसिटी बिल्डिंग

चरण III के परिकल्पना और उद्देश्य
केपॅसिटी बिल्डिंग स्कीम (सी.बी.) चरण III, डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की एक रणनीतिक पहल है, जिसका उद्देश्य सभी स्तरों की सरकारी संस्थाओं में आवश्यक और प्रासंगिक क्षमताओं का विकास करना है। यह चरण, चरण I और II की सफलताओं और अनुभवों पर आधारित है। यह अपनी पहुँच को बढ़ाता है और डिजिटल युग की बदलती शासन संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्नत शिक्षण तरीकों को अपनाता है।
चरण III में सरकार के भीतर मौजूद क्षमता से जुड़ी चुनौतियों को दूर करने के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर ज़ोर दिया गया है। ये कार्यक्रम डिजिटल गवर्नेंस परियोजनाओं, उभरती तकनीकों और विभिन्न सरकारी भूमिकाओं के लिए भूमिका-आधारित प्रशिक्षण जैसे विषयों को शामिल करते हैं।
परिकल्पना : केपॅसिटी बिल्डिंग स्कीम के तीसरे चरण में डिजिटल रूप से सक्षम सरकारी कार्यबल तैयार करने की परिकल्पना की गई है, जो पूरे भारत में डिजिटल गवर्नेंस पहलों को कुशलतापूर्वक संचालित और प्रबंधित कर सके, तथा डिजिटल इंडिया और सतत विकास के व्यापक लक्ष्यों में योगदान दे सके।
उद्देश्य:
- लक्षित प्रशिक्षण कार्यक्रमों के ज़रिए सभी स्तरों पर सरकारी अधिकारियों की क्षमता और काम करने की दक्षता को बढ़ाना
- निरंतर सीखने और ज्ञान साझा करने के लिए iGOT जैसे राष्ट्रीय ऑनलाइन प्रशिक्षण प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करना
- डिजिटल परिवर्तन पहल को बेहतरी के लिए राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों के नीति-निर्माण निकायों को सहायता प्रदान करने के लिए पेशेवर और तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करने के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों में विशेषज्ञों का एक समूह विकसित करना
- ई-गवर्नेंस में बेहतरीन प्रथाओं और नवाचारों को साझा करने के लिए सहयोग और साझेदारी को बढावा देना
- डिजिटल शासन में सभी की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए समावेशन और जागरूकता को बढ़ावा देना
चरण III के प्रमुख घटक
प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास
चरण III में सरकार के भीतर क्षमता-संबंधी चुनौतियों का समाधान करने के लिए डिज़ाइन किए गए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर ज़ोर दिया गया है। ये कार्यक्रम डिजिटल गवर्नेंस परियोजनाओं, उभरती प्रौद्योगिकियों और विभिन्न सरकारी भूमिकाओं के लिए भूमिका-आधारित प्रशिक्षण सहित विभिन्न विषयों को कवर करते हैं। प्रमुख पहलों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- डिजिटल गवर्नेंस, डिजिटल परिवर्तन और उभरती प्रौद्योगिकियों में विशेष प्रशिक्षण
- परियोजना प्रबंधकों और आई.टी. पेशेवरों के लिए प्रमाणन कार्यक्रम
- नवीन प्रौद्योगिकी रुझानों पर विषयगत कार्यशालाएँ
- वरिष्ठ अधिकारियों के लिए भूमिका-आधारित कार्यक्रम
सहयोग और साझेदारी
चरण III डिजिटल गवर्नेंस में ज्ञान और सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए शैक्षणिक संस्थानों, उद्योग भागीदारों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों जैसे विभिन्न हितधारकों के साथ सहयोग को प्रोत्साहित करता है। केपॅसिटी बिल्डिंग को मजबूत करने के लिए व्यवसायिक मंचों, अभ्यास समुदायों और आपसी सीख (क्रॉस-लर्निंग) जैसे प्रयासों के ज़रिए सहयोग और साझेदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है।
राज्य ई-मिशन टीम
राज्य ई-मिशन टीमें (SeMTs) पूरे देश में ई-गवर्नेंस पहलों को लागू करने और उन्हें सफल बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं। केपॅसिटी बिल्डिंग स्कीम के तहत गठित SeMTs डोमेन विशेषज्ञों और आई.टी. पेशेवरों की टीमें होती हैं, जो राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को डिजिटल गवर्नेंस परियोजनाओं की योजना बनाने, उन्हें लागू करने और प्रबंधित करने में महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करती हैं। ये टीमें राज्य स्तर पर डिजिटल परिवर्तन की रीढ़ की हड्डी के रूप में काम करती हैं और यह सुनिश्चित करती हैं कि सभी परियोजनाएं राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हों और साथ ही स्थानीय ज़रूरतों को भी पूरा करें। SeMTs डिजिटल गवर्नेंस समाधानों को अपनाने में मदद करते हैं, तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, और राज्य अधिकारियों की क्षमता बढ़ाने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करते हैं। SeMTs डिजिटल इंडिया के केंद्रीय दृष्टिकोण और राज्यों में उसके क्रियान्वयन के बीच की दूरी को कम करते हैं, जिससे पूरे देश में एक समान और एकीकृत डिजिटल शासन प्रणाली स्थापित करने में मदद मिलती है। उनके प्रयासों से सरकारी सेवाओं की दक्षता, पारदर्शिता और पहुंच में सुधार हुआ है, जिससे वे एक डिजिटल रूप से सशक्त समाज निर्माण के लक्ष्य में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
सरकारी अधिकारियों की डिजिटल दक्षताओं को विकसित करने के लिए अनुरूपता मूल्यांकन ढांचा (सी.ए.एफ.)
डिजिटल दक्षताओं के निर्माण के लिए अनुरूपता मूल्यांकन रूपरेखा (सी.ए.एफ.) तैयार की जा रही है।
सी.ए.एफ. में प्रभावी डिजिटल शासन के लिए आवश्यक प्रमुख योग्यता डोमेन निम्नलिखित होते हैं:
सार्थकता और प्रासंगिकता
केपॅसिटी बिल्डिंग स्कीम का चरण III कई कारणों से महत्वपूर्ण है:
- डिजिटल परिवर्तन: यह डिजिटल परियोजनाओं के प्रभावी प्रबंधन और कार्यान्वयन में सक्षम कार्यबल का निर्माण करके डिजिटल इंडिया पहल का समर्थन करता है।
- सतत विकास: यह योजना सरकारी कर्मचारियों की क्षमता का विकास करती है, जिससे वे बेहतर प्रशासन और सेवा वितरण के माध्यम से सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में महत्वपूर्ण योगदान देती है।
- नवप्रवर्तन और दक्षता: उभरती हुई प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षण नवाचार को बढ़ावा देता है और सरकारी कार्यों की दक्षता में उल्लेखनीय सुधार करता है।
- समावेशिता: यह योजना सभी कर्मचारियों को, चाहे वे दूरदराज या वंचित इलाकों में हों, प्रशिक्षण और सीखने के समान अवसर देकर समावेशिता को बढ़ावा देती है।